भागवत बोले: संघ के पास सत्ता का रिमोट नहीं, 40 हजार साल से भारतीयों का DNA एक

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भागवत बोले: संघ के पास सत्ता का रिमोट नहीं, 40 हजार साल से भारतीयों का DNA एक

धर्मशाला. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा प्रवास के तीसरे दिन 19 दिसंबर यानी शनिवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में संघ का दर्द बयां किया। उन्होंने कहा कि सत्ता का रिमोट कंट्रोल (Remote Control of Power) संघ के पास नहीं है। इस आरोप का कोई आधार नहीं है। भागवत ने एक बार भारतीयों के डीएनए (DNA) पर बात की।

फिर आया डीएनए का जिक्र

मोहन भागवत ने धर्मशाला के एक कार्यक्रम में फिर भारतीयों के डीएनए का जिक्र किया। इससे पहले 4 जुलाई 2021 को  गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित समारोह में संघ प्रमुख ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए (DNA) एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के क्यों न हों।उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भी भ्रामक हैं, क्योंकि ये दोनों अलग नहीं, बल्कि एक ही हैं। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता।

सालों विरोध हुआ, पर सेवा में लगे रहे

धर्मशाला कॉलेज के हॉल में पूर्व सैनिक प्रबोधन कार्यक्रम रखा गया था। इस दौरान भागवत ने भी कहा कि पिछले 96 साल से RSS का हमेशा विरोध हुआ, लेकिन हम समाज की सेवा में लगे रहे। संघ को थोड़ी राहत तब मिली, जब स्वयंसेवक सत्ता में आए। सब बाधाओं को पार कर 96 साल से आरएसएस समाज सेवा करते हुए आगे बढ़ता गया। 

हजारों सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक- भागवत

भागवत हिंदुत्व पर भी खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि कुछ शब्द हमारे जीवन से चिपक जाते हैं, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हिंदुस्तान (Hindustan) से हिंदू (Hindu) शब्द पड़ा। संघ से हिंदुत्व (Hindutva) शब्द चिपक गया है। हिंदुत्व किसी को जीतने की बात नहीं करता। हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। हिंदुत्व जोड़ने की बात करता है, किसी को बांटता नहीं। पिछले 40 हजार सालों से सभी भारतीयों का DNA एक है। धर्म का अर्थ धारणा है, जो समाज को जोड़ता है। इसका अर्थ हिंदू (Hindu) और मुस्लिम (Muslim) नहीं होता। हम गुलाम इसलिए हुए, क्योंकि हम हमेशा बंटे (Divided) रहे।

कोई दुश्मनी करे तो झुकना नहीं

संघ प्रमुख ने परोक्ष रूप से चीन और पाकिस्तान को संदेश दिया। कहा कि भारत की तरफ से कभी किसी से दुश्मनी नहीं रही। लेकिन दुनिया में दुश्मन होते हैं। कोई दुश्मनी करे तो झुकना नहीं है, बल्कि दुश्मन को दबाकर आगे बढ़ना है। सैन्य तैयारी को लेकर हमारी सेना की अमेरिका (US) और चीन (China) जैसे देशों से तुलना हो सकती है, लेकिन हौसला, हिम्मत और ताकत के मामले में भारत का सैनिक दुनिया में अव्वल है। यह ताकत भारतीय सिपाही में शारीरिक प्रशिक्षण (Physical Training) से नहीं, बल्कि मन से आती है। भारतीय सैनिक वीरता से लड़ता है। वह सीमा पर काम पूरा करता है या मरता है। आरएसएस पूर्व सैनिकों की चिंता करता है। संघ में पूर्व सैनिक सेवा परिषद संगठन है, जो सैन्य परिवारों से संघ की विचारधारा (Ideology) साझा करता है।

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